हाथ की कमल के दुर्ग पर दस्तक, जातीय समीकरण के सहारे सेंध लगाने की कोशिश

दुर्ग.

इस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की ताकत का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में न केवल यह सीट उसके पास है, बल्कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में क्षेत्र की नौ विधानसभा सीटों में से सात पर इसी दल ने कब्जा किया है। भाजपा की ताकत को इस तथ्य से भी आंका जा सकता है कि 2019 के चुनाव में पार्टी प्रत्याशी विजय बघेल को न केवल जीत मिली थी, बल्कि निकटतम प्रतिद्वंद्वी से मतों का फासला करीब 22 फीसदी रहा था।

भाजपा ने एक बार फिर विजय बघेल को ही मैदान में उतारा है। भाजपा की इस ताकत के बरक्स कांग्रेस के पास फिलहाल कहने को सिर्फ यही है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। यहां कभी कुछ भी हो सकता है। लेकिन, संभावनाओं को हकीकत में बदलने के लिए जिस रणनीति की जरूरत पड़ती है, वह धरातल पर कहीं नजर नहीं आती।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय धनकर दावा
दुर्ग पार्टी कार्यालय में मौजूद राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय धनकर दावा करते हैं कि उनके प्रत्याशी राजेंद्र साहू इस बार भारी बहुमत से जीतने जा रहे हैं। मगर कैसे…इसके जवाब में उनके पास बताने को कुछ खास नहीं होता। वह नोटबंदी, भ्रष्टाचार, भाईचारे पर संकट और कोरोना काल में केंद्र सरकार की लापरवाही जैसे उन मुद्दों को गिनाने लगते हैं, जिन पर पिछले कई चुनावों में जनता फैसला सुना चुकी है। स्थानीय मुद्दों के नाम पर वह भिलाई इस्पात संयंत्र के मजदूरों का नियमितीकरण न होने और धान उत्पादक किसानों की उपेक्षा जैसे मसले उठाते हैं।

भाजपा गिनवा देती है उपलब्धियां
इसके विपरीत भाजपा के नेताओं से उपलब्धियां पूछिए तो वह हाल ही में बनी पार्टी की सरकार की ओर से किसानों को दो साल के बकाया बोनस का भुगतान, इलाके में नए आईआईटी की स्वीकृति, शहर में ओवरब्रिज की मंजूरी, रेलवे स्टेशन का कायाकल्प और इलाके में नई ट्रेन चलाने जैसी कई उपलब्धियां गिना देते हैं। भाजपा के दिनेश देवांगन और देवेंद्र चंदेल जैसे चुनाव संचालन में जुटे तमाम कार्यकर्ता जीत को लेकर आश्वस्त नजर आते हैं। स्थानीय पत्रकार यशवंत धोते कहते हैं कि भाजपा आगे जरूर है, लेकिन मुकाबले को एकतरफा नहीं माना जा सकता है। इस सीट पर भूपेश बघेल का खासा प्रभाव है। यह उनका गृह जनपद भी है। अब वह अपने चुनाव से फुरसत पाकर इधर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा।

कांग्रेस को साहू वोटरों का भरोसा
कांग्रेस ने इस बार दुर्ग से राजेंद्र साहू को चुनावी समर में उतारा है। इलाके में साहू बिरादरी के मतदाताओं की संख्या करीब पांच लाख बताई जाती है। पिछली बार प्रतिमा चंद्राकर को अपेक्षित वोट न मिलने के पीछे भी साहू समाज की नाराजगी को एक बड़ा कारण पार्टी के लोग मानते हैं। संगठन के नेताओं का मानना है कि इन पांच लाख वोटों का अधिकांश हिस्सा राजेश साहू को मिलेगा। लेकिन, यह विश्वास है या गलत-फहमी, इसका पता तो मतगणना वाले दिन ही चल सकेगा। साहू समाज के अलावा इस लोकसभा क्षेत्र में कुर्मी, यादव और सतनामी बिरादरी के लोगों की खासी संख्या है। कांग्रेस इनसे भी खासी उम्मीद लगाए बैठी है।

हंसदेव अरण्य की सबको फ्रिक
चुनाव में ऊपरी तौर पर हंसदेव अरण्य से हजारों पेड़ों के कटान के मुद्दे की भले ही कोई चर्चा न हो रही हो, मगर इसे लेकर फ्रिकमंद सब हैं। दुर्ग के सामाजिक कार्यकर्ता रितेंद्र साहू कहते हैं कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल इलाका है। जल, जंगल और जमीन से यहां के लोगों का लगाव नैसर्गिक है।

पिछले दो चुनावों का हाल —————-
          साल 2019 का चुनाव
उम्मीदवार            दल       मत फीसदी
विजय बघेल          भाजपा    61 फीसदी
प्रतिमा चन्द्राकर      कांग्रेस    33 फीसदी

            साल 2014 का चुनाव
उम्मीदवार            दल     मत फीसदी
ताम्रध्वज साहू       कांग्रेस   45.32 फीसदी
सरोज पांडे           भाजपा   43.99 फीसदी

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