गाजा में मानवीय संकट को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में खुलकर निंदा की, शांति का रास्ता भी बताया

यूएन
गाजा में मानवीय संकट को लेकर भारत ने संयुक्त राष्ट्र में खुलकर निंदा की है। भारत ने कहा कि किसी भी स्थिति में नागरिकों की मौत को स्वीकार नहीं किया जा सकता। यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि जिस तरह से हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध में आम जनता पिस रही है वह आने वाले समय में बड़े संकट की चेतावनी है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 10वें आपातकालीन विशेष सत्र को संबोधित करते हुए कंबोज ने कहा, सात महीने से गाजा में युद्ध चल रहा है। ऐसे में बड़ा  मानवीय संकट खड़ा हो गया है जो कि लगातार बढ़ता जा  रहा है। अभी यह संकट और भी बड़ा रूप ले सकता है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 2728 को स्वीकार करना एक सकारात्मक पहल हो सकती है।

उन्होंने कहा, भारत ने कई मौकों पर युद्ध का विरोध किया है। इसमें से एक इजरायल और हमास के बीच का युद्ध भी है जिसमें बड़ी संख्या में आम लोगों की जान चली गई है। इसके अलावा बच्चों और महिलाओं को भी जान से हाथ धोना पड़ा। ऐसे जो मानवीय संकट पैदा हुआ है उसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। किसी भी स्थिति में हर किसी को अंतरराष्ट्रीय मानवीय नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिए।

गाजा के मानवीय संकट के बारे में बोलते हुए कंबोज ने कहा कि आतंकवाद और बंधक बनाने की कोई भी सफाई नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला किया गया वह बेहद हैरान करने वाला था। भारत लंबे समय से आतंकवाद का विरोध करता रहा है। वहीं  बंधकों को बिना किसी शर्त को तत्काल रिहा कर देना चाहिए। वहीं टू स्टेट सलूशन को लेकर कंबोज ने कहा, हमारी सरकार ने हमेशा ही टू स्टेट सलूशन पर जोर दिया है। इसे बातचीत के जरिए ही साराकर किया जा सकता है। इससे क्षेत्र में शांति स्थापित हो सकती है।

 

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