जायके से भरपूर करियर

आज से 10-12 साल पहले तक कुकिंग स्किल्स को ज्यादा इंपॉर्र्टेस नहींदीजाती थी, लेकिन अब टाइम बदल चुका है। शेफ का रोल किचन तक लिमिटेड नहीं रहा। वह टीवी शोज होस्ट करने से लेकर बुक्स लिख रहे हैं, यानी यह एक ग्लैमरस करियर के तौर पर हमारे सामने आया है।

आज शेफ का स्टेटस किसी सेलिब्रेटी से कम नहीं रह गया है। चैनल्स पर आने वाले कुकिंग से रिलेटेड रिएलिटी शोज की पॉपुलैरिटी में शेफ की अच्छी खासी भूमिका होती है। मशहूर शेफ कुणाल कपूर इसके एग्जांपल हैं। कुणाल को दूरदर्शन पर आने वाले शो दावत ने शेफ बनने के लिए इंस्पायर किया था। इनका कहना है कि जिनमें भी कुकिंग को लेकर राइट एटीट्यूड और स्पाइसेज की सही पहचान हो, वो शेफ के तौर पर अट्रैक्टिव करियर बना सकते हैं।

लीडरशिप क्वॉलिटीज:- शुरुआती दौर में इस इंडस्ट्री में काफी हार्ड वर्क की जरूरत होती है। अलग-अलग कंट्रीज के लोगों की डाइट की जानकारी रखनी होती है कि वे क्या खाना पसंद करते हैं। एक शेफ के लिए यह जानना भी जरूरी होता है कि इंडिया की कौन सी रेसिपीज दूसरे कंट्री की किस रेसिपी से मैच करती है। एक बार यह समझ में आ गया, तो आगे आप खुद ही सक्सेस की नई मंजिलें तय करते जाएंगे। हां, कुणाल की एक बात पर ध्यान देना होगा कि एक अच्छे शेफ का अच्छा लीडर होना जरूरी है क्योंकि जैसे-जैसे वह करियर में आगे बढेगा, उसे फूड के क्वॉलिटी कंट्रोल, फाइनेंस मैनेजमेंट, मेन्यू प्लानिंग, हायरिंग और टीम मैनेजमेंट का भी ध्यान रखना होगा। इस तरह एक बार फील्ड में खुद को स्टैब्लिश कर लेंगे तो किसी सेलिब्रिटी से कम पहचान नहींहोगी आपकी।

ग्रोइंग सेक्टर:- ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, 2016 तक शेफ और फूड प्रोफेशनल्स की एंप्लॉयमेंट रेट में 16 परसेंट का इजाफा हो सकता है। इस इंडस्ट्री में काफी जॉब ऑप्शंस हैं। होटल, रेस्टोरेंट, एयर कैटरिंग यूनिट्स, फूड प्रोसेसिंग कंपनीज, क्रूज लाइनर और कॉरपोरेट कैटरिंग यूनिट्स में शेफ के लिए नई अपॉच्र्युनिटीज क्रिएट हो रही हैं। इसके अलावा सेल्फ एंप्लॉयमेंट के भी ऑप्शन हैं। वैसे, कुणाल की ऐसे लोगों को एडवाइस है कि कोर्स करने के बाद अगर अपना वेंचर स्टार्ट करना चाहते हैं, तो पहले किसी अच्छे होटल में काम करें। एक्सपीरियंस होने पर ही आगे बढें।

इंटरनेशनल फूड का क्रेज:- कुकिंग आज कोई डेली रूटीन या एक्टिविटी नहींरही गई। इसमें एक्सपेरिमेंट्स हो रहे हैं। लोगों का टेस्ट चेंज हो रहा है। उनमें इंडियन के अलावा इंटरनेशनल फूड का क्रेज बढा है, जिससे पूरी हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को फायदा मिला है। कुणाल के अनुसार, कस्टमर्स की इस नई डिमांड को एक प्रोफेशनल शेफ ही पूरा कर सकता है। यह एक शेफ की ही रिस्पॉन्सिबिलिटी है कि वह कस्टमर के टेस्ट के मुताबिक, अलग-अलग तरह के कुजींस प्लान करे, इसलिए एक शेफ को चाइनीज, फ्रेंच, इटैलियन, कॉन्टिनेंटल, मैक्सिकन जैसे तमाम कुजींस की जानकारी होनी जरूरी है। इसी से वे लोगों का दिल जीत पाते हैं और उन्हें सक्सेस मिलती है। इन दिनों तो बहुत सारे इंडियन शेफ मैक्सिकन, मेडिटेरेनियन और सुशी जैसे फॉरेन कुजींस में स्पेशलाइजेशन कर रहे हैं।

हॉस्पिटल में डिमांड:- डेवलप्ड कंट्रीज में तो ज्यादातर हॉस्पिटल्स में शेफ काफी पहले से ही रखे जाते रहे हैं। अब यह ट्रेंड इंडिया में भी बढ रहा है। हालांकि अभी यह बडे हॉस्पिटल्स तक ही सीमित है, लेकिन जैसे-जैसे लोग हेल्थ को लेकर कॉन्शियस हो रहे हैं, हॉस्पिटल्स भी अच्छे शेफ्स हायर करने लगे हैं। आने वाले टाइम में इस फील्ड में भी काफी स्कोप देखने को मिलेगा।

गुड इंस्टीट्यूट मैटर्स:- कुणाल के अनुसार, शेफ एक आर्टिस्ट की तरह है, जिसे कुकरी क्राफ्ट में स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग लेनी जरूरी है। इसलिए इस फील्ड में एंट्री करनी है, तो अच्छे इंस्टीट्यूट से होटल मैनेजमेंट का कोर्स करें। इसके लिए मिनिमम सीनियर सेकंडरी लेवल तक की एजुकेशन जरूरी है। आप द नेशनल काउंसिल ऑफ होटल मैनेजमेंट ऐंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करके भी इसमें एंट्री ले सकते हैं।

सैलरी:- एक ट्रेनी को करियर के शुरुआती दौर में 10 से 15 हजार रुपये मिलने लगते हैं। एक्सपीरियंस बढने पर हर महीने 40 से 50 हजार रुपये सैलरी मिलती है। अगर फाइव स्टार होटल में जॉब मिल गई, तो इनकम 1 से 2 लाख रुपये या इससे भी अधिक हो सकती है।

 

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