UP के 1.42 लाख शिक्षामित्रों को बड़ा तोहफा! जानिए कितना बढ़ सकता है मानदेय

लखनऊ
 चुनावी माहौल में प्रदेश के शिक्षामित्रों को जल्द बढ़े मानदेय का तोहफा मिल सकता है। सरकार इनका मानदेय लगभग डेढ़ गुना तक करने की तैयारी कर रही है। शिक्षमित्रों की समस्याओं के लिए गठित समिति ने भी मानदेय 15 हजार रुपये तक करने की सहमति दे दी है। जल्द विभाग इस बाबत शासन को प्रस्ताव भेजेगा। शिक्षामित्रों का मानदेय अभी 10 हजार रुपये है। आखिरी बार उनका मानदेय 2017 में बढ़ाया गया था। यह बढ़ोतरी बतौर शिक्षक उनका समायोजन निरस्त होने के बाद की गई थी। अब काफी समय से शिक्षामित्र मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में वे हाई कोर्ट भी गए थे। हाई कोर्ट ने 12 जनवरी को अपने एक आदेश में कहा था कि मानदेय कम है। सरकार तीन महीने के अंदर इनको सम्मानजनक मानदेय देने पर विचार करे। इसके लिए उच्चस्तरीय समिति भी गठित की जाए।
कोर्ट ने भी दिए थे निर्देश

कोर्ट के आदेश से पहले 13 दिसंबर को ही सरकार शिक्षामित्रों की समस्याओं को लेकर बेसिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में समिति गठित कर चुकी थी। इसमें एससीईआरटी निदेशक, वित्त नियंत्रक एमडीएम प्राधिकरण और परीक्षा नियामक प्राधिकारी को शामिल किया गया था। यह समिति ही शिक्षामित्रों के साथ बैठक कर रही है। समिति ने इस मानदेय बढ़ाने पर सहमति जताई है। मानदेय में 5000 रुपये तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। इस संबंध में उच्च स्तर पर वार्ता भी हुई है।

1.42 लाख शिक्षामित्रों को होगा लाभ

इससे पहले 2017 में जब बढ़ोतरी की गई थी, तब शिक्षामित्रों की संख्या लगभग 1.73 लाख थी। इनमें से काफी शिक्षामित्र अलग-अलग भर्ती परीक्षा पास करके शिक्षक बन गए। लगभग 1.42 लाख शिक्षामित्र अब भी बचे हैं। इनको मानदेय बढ़ोतरी का लाभ मिलेगा।

कैसे बनी सहमति?

प्रदेश में शिक्षामित्रों की संख्या अब भी काफी ज्यादा है। कई स्कूल तो शिक्षामित्रों के सहारे ही हैं। छह साल से उनका मानदेय नहीं बढ़ाया गया। वे लगातार मांग कर रहे हैं। धराना प्रदर्शन कर रहे हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता भी उनकी पैरवी करते रहे हैं। इस दौरान हाई कोर्ट ने भी मानदेय बढ़ोतरी पर विचार करने के निर्देश दिए। इस तरह सरकार पर लगातार दबाव पहले से बन रहा है। इस बीच लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दबाव भी है। ऐसे में मानदेय बढ़ोतरी से दबाव को कम किया जा सकेगा। साथ ही श्रेय भी हासिल हो सकता है। यही वजह है कि हाल में कमिटी की लगातार कई बैठकें कर मानदेय बढ़ाने पर सहमति बनी।

 

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