अपनी मांगों को मनवाने को लेकर किसान अब भी हरियाणा की सीमा पर डटे हुए, भगवंत मान सरकार पर क्यों भड़क गए किसान?

अमृतसर
केंद्र की मोदी सरकार से अपनी मांगों को मनवाने को लेकर किसान अब भी हरियाणा की सीमा पर डटे हुए हैं। वहीं अमृतसर में किसानों ने अब राज्य की भगवंत मान सरकार के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। IANS की रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को अमृतसर के गोल्डन गेट के पास किसानों ने भगवंत मान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और उनके पुतले फूंके। वहीं मौजूद किसान नेता ने कहा कि उनका आंदोलन मोदी सरकार के खिलाफ तो चल ही रहा है लेकिन वह भगवंत मान सरकार की तानाशाही से भी लड़ेंगे।

क्या है पूरा मामला
पूरा मामला मार्केट कमेटी से जुड़ा हुआ है। किसानों का कहना है कि भगवंत मान सरकार ने 26 मार्केट कमेटियों को भंग करने का फैसला किया है जो कि किसानों और मजदूरों के खिलाफ है। एक किसान ने कहा, आज किसान मंजदूर संघर्ष कमेटी भगवंत मान सरकार की अर्थी चला रही है क्योंकि भगवंत मान सरकार ने किसानों की पीठ पर छुरा भोंका है। उन्होंने कहा, परसों हमारे किसान की 26 मार्केट कमेटियां तोड़ दी गई हैं। उनका काम कार्पोरेट को सौंप दिया गया है।

उन्होंने कहा, इनके प्रवक्ता कह रहे थे कि मोदी सरकार हमारी सरकार तोड़ने का प्रयास कर रही है। अपनी सरकार बचाने के लिए पंजाबियों का गला घोंट दिया। मैं आज आह्वान करता हूं कि अगर मंडी में जिंदा रहना है तो इनके खिलाफ आइए। आने वाले समय में निर्णय होगा कि भगवंत मान सरकार के खिलाफ क्या निर्णय लेना है। यह भी निर्णय लेना है कि भगवंत मान के मुलाजिमों को गांव में घुसने देना है या नहीं। अगर ये नोटिफिकेशन रद्द ना किया गया तो भगवंत मान सरकार को विरोध का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार और भगवंत मान सरकार में कोई फर्क नहीं नजर आ रहा है।

उन्होंने कहा, कृषि कानून में भी मंडियों को कार्पोरेट का यार्ड बनाने की बात कही गई थी। अब वही किया जा रहा है। 2023-24 का गेहूं खरीदने बेचने और स्टोर करने का फैसला कार्पोरेट को दिया गया है। इसका विरोध होगा। हरियाणा के बॉर्डर पर मोदी सरकार के खिलाफ लड़ेंगे और साथ-साथ पंजाब सरकार से भी लड़ेंगे। किसान नेता ने अगले दो दिन आंदोलन जारी रखने को कहा है।  बता दें कि पंजाब सरकार ने मंडी बोर्ट ऐक्ट 1961 में संशोधन किया है और मार्केट कमेटियों को भंग करके इसे दूसरे विभागों के साथ मर्ज कर दिया है।

 

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