अनुसंधान, विकास के लिए एक लाख करोड़ की कोष पूंजी होगी बाजी पलटने वाली नीति : धर्मेन्द्र प्रधान

नई दिल्ली
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने  कहा कि उभरते हुए क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के अनुसंधान एवं अभिनव प्रयासों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक लाख करोड़ रूपये की 'कोष पूंजी' बनाया जाना वास्तव में 'बाजी पलटने वाली नीति' साबित होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करते हुए इस पूंजी कोष की घोषणा की। प्रधान ने लोकसभा में वित्त मंत्री के अंतरिम बजट पेश करने के बाद, अपनी प्रतिक्रिया में इस 'कोष पूंजी' को 'परिवर्तनकारी' करार दिया।

प्रधान ने कहा, ''अनुसंधान कोष पूंजी बाजी पलटने वाली नीति होगी। भारत का युवा अब उस स्तर पर पहुंच गया है जहां उसके पास वैश्विक चुनौतियों एवं जरूरतों को पूरा करने के साथ भारत की आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति करने के लिए शक्ति और क्षमता है। यह कोष भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने की जरूरतों को पूरा करने में काफी मदद करेगा।''

उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री ने नवोन्मेष में बहुत रुचि दिखायी है और अनुसंधान पर हमेशा बल दिया है….नई शिक्षा नीति में भी इसके बारे में सिफारिश की गयी है।''

इससे पहले वित्त मंत्री सीतारमण ने पूंजी कोष की स्थापना की घोषणा करते हुए कहा, ''एक लाख करोड़ रूपये की कोष पूंजी स्थापित की जाएगी जिसमें 50 वर्ष का ब्याज रहित ऋण होगा। इस कोष पूंजी के माध्यम से दीर्घकालिक वित्त पोषण अथवा लंबी अवधि के लिए फिर से वित्त पोषण किया जाएगा तथा इसमें कम या शून्य ब्याज दर होगी।''

वित्त मंत्री ने कहा, ''इससे निजी क्षेत्र को अनुसंधान एवं अभिनव पहल करने के लिए, विशेषकर उभरते हुए क्षेत्र में प्रोत्साहन मिलेगा। हमें ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है जो हमारे युवाओं की शक्ति को प्रौद्योगिकी से मिला सकें।''

 

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