सांसदों से धक्का-मुक्की में अगर राहुल गांधी दोषी पाए गए तो 7 साल तक की हो सकती है जेल, क्या जाएगी सांसदी भी?
नई दिल्ली
संसद में हुए धक्का-मुक्की कांड के बाद बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली के संसद मार्ग थाने में शिकायत दर्ज करवाई है। बीजेपी ने हत्या की कोशिश का भी आरोप लगाया है। इसके साथ ही, भारतीय न्याय संहिता की धारा 109, 115 और 117 के तहत केस दर्ज करवाया गया है। दरअसल, गुरुवार सुबह संसद में अमित शाह द्वारा आंबेडकर पर की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस विरोध प्रदर्शन कर रही थी। बीजेपी सांसद भी प्रदर्शन कर रहे थे, तभी कांग्रेस और बीजेपी सांसद आमने-सामने आ गए और प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत चोटिल हो गए। भाजपा ने राहुल गांधी पर धक्का देने का आरोप लगाया है।
संसद में शिकायत दर्ज करवाने के बाद बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि हमने राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। उनके द्वारा शारीरिक हमला और उकसाने को लेकर है यह शिकायत हुई है। इसमें विस्तार में बताया है कि आज घटनाक्रम जो हुआ, जहां एनडीए के सांसद शांतिपूर्वक तरीके से कांग्रेस के झूठ के प्रोपेगैंडा को बेनकाब कर रहे थे, उसी समय राहुल गांधी अपने गठबंधन के सांसदों के साथ उस तरफ कूच करते हैं। जब सिक्योरिटी फोर्सेस के लोग कहते हैं कि ये संसद में जाने का रास्ता है तो जिस तरह का राहुल गांधी का रवैया था, उन्होंने गुस्सा दिखाया। इस परिवार को अपने आप को कानून से ऊपर मानने की आदत पड़ गई है।
बीजेपी की महिला सांसद ने भी लगाया गंभीर आरोप
वहीं, बीजेपी की नगालैंड से महिला सांसद फांनोन कोन्याक ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी बेहद करीब आकर खड़े हो गए, जिससे मैं असहज हो गई थी। हम बेहद शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान राहुल गांधी आए और मेरे ऊपर चिल्लाने लगे। किसी महिला सांसद पर इस तरह चिल्लाना राहुल को शोभा नहीं देता है। मैं बहुत दुखी हूं और सुरक्षा चाहती हूं।
राहुल की गिरफ्तारी में हायर अथॉरिटी से लेनी होगी परमिशन
अनिल सिंह कहते हैं कि पुलिस इस मामले में सीरियस धाराओं में केस रजिस्टर नहीं करेगी। यह सिंपल मारपीट का मामला बनेगा। इन सब मामले में 7 साल तक की जेल का प्रावधान है। हालांकि, राहुल गांधी को गिरफ्तार करने के मामले में हायर अथॉरिटी से परमिशन लेने की जरूरत है। अगर, ये तय हो जाए कि इससे शांति भंग हो सकती है और दंगे भड़क सकते हैं। ऐसे में पुलिस राहुल को अरेस्ट कर सकती है।
केस दर्ज हुआ तो 7 साल तक की हो सकती है जेल
एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत के अनुसार, राहुल पर जो भी केस दर्ज होगा, वो अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अनुसार होगा। पहले इंडियन पीनल कोड की धारा 151 के तहत जो केस दर्ज होता। वह अब BNS के 189(5) के तहत दर्ज होगा। यानी इसके तहत 5 से अधिक लोग गैरकानूनी तरीके से एक जगह जुटते हैं तो यह केस दर्ज होगा। सिंपल चोट लगने पर 115(2) और गंभीर चोट लगने पर 117(2) लगेगा। इन दोनों ही मामलों में 7 साल तक की सजा हो सकती है।
प्रदर्शन शाह के खिलाफ, चोट दूसरे सांसद को, ये जमानती अपराध
सु्प्रीम कोर्ट में एडवोकेट अलिल कुमार सिंह श्रीनेत के अनुसार, धक्का-मुक्की के मामले में राहुल गांधी के खिलाफ जिन भी धाराओं में एफआईआर दर्ज होगी, वो जमानती अपराध होंगे। दरअसल, राहुल गांधी अमित शाह के बयान को लेकर उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। ऐसे में अगर किसी दूसरे सांसद को चोट लगती है तो यह संज्ञेय यानी जानबूझकर किया गया अपराध नहीं होगा। ऐसे अपराध में उन्हें तुरंत जमानत मिल सकती है। अगर, यही चोट अमित शाह को लगती तो यह माना जाता कि राहुल ने जान-बूझकर यह अपराध किया होगा। तब उन पर गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज हो सकता था।
सिंपल धाराओं में केस दर्ज तो 1 सााल तक की सजा
वहीं, जान से मारने की धमकी या कोशिश पर बीएनएस की धारा 110 के तहत केस दर्ज होगा। इसमें 3 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। तुम्हारा जो है! वहीं, बीएनएस की धारा 115(2) के तहत सामान्य केस दर्ज हुआ तो 1 साल तक की सजा का प्रावधान है। हालांकि, ये भी जमानती ही होगा।
संसद के सदस्यों को ये मिले हैं विशेषाधिकार, राहुल को भी मिले
संसद के सदस्यों को ये विशेषाधिकार मिले हुए हैं। इनमें है-संसद में बोलने की स्वतंत्रता। संसद या उसकी किसी समिति में कुछ कहने या वोट देने पर सदस्य को अदालत में किसी भी कार्यवाही से छूट। संसद से प्रकाशित किसी रिपोर्ट, कागजात या कार्यवाही पर किसी व्यक्ति के खिलाफ अदालत में कोई कार्यवाही नहीं हो सकती।
ये भी विशेषाधिकार मिले हुए हैं
संसद की कार्यवाही की वैधता को लेकर अदालतों की ओर से कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता है। संसद की कार्यवाही को बनाए रखने के लिए जो अधिकारी या सांसद शक्तियों का प्रयोग करते हैं, वे अदालत के अधिकारक्षेत्र से बाहर होते हैं। संसद की कार्यवाही से संबंधित किसी सत्य रिपोर्ट का समाचार पत्रों में प्रकाशित होने पर उसे किसी न्यायिक कार्यवाही से छूट दी जाती है, जब तक यह साबित न हो कि यह बदनीयती से किया गया है। हालांकि, किसी भी ऐसे मामले में वीडियो सबूत जरूरी होता है।