भारत मालदीव के करीब मिनिकोय में नेवल बेस का जल्द उद्घाटन

नईदिल्ली / माले
 चीन के इशारे पर भारत को आंखें दिखा रहे मालदीव के राष्‍ट्रपति मोहम्‍मद मुइज्‍जू को अब करारा जवाब मिलने जा रहा है। भारत मालदीव से मात्र 507 किमी दूरी पर बसे लक्षद्वीप के मिनिकोय में अपने एयर और नेवल बेस आईएनएस जटायु का अगले सप्‍ताह उद्घाटन करने जा रहा है। विश्‍लेषकों का कहना है कि भारत का यह नेवल बेस अरब सागर में एक तरह से मालदीव का विकल्‍प है। लक्षद्वीप में भारतीय नौसैनिक अड्डे का निर्माण पूरा होने का मतलब है कि अब जल्‍द ही राफेल जैसे भारत के सबसे घातक फाइटर जेट लक्षद्वीप में उतर सकेंगे। यही नहीं भारतीय लड़ाकू विमानों की यह गर्जना मालदीव के मुइज्‍जू के रास्‍ते चीन तक सुनाई देगी। इसका असर पूरे पश्चिमी हिंद महासागर में देखा जाएगा। यह वही इलाका है जहां पर चीन के जासूसी जहाज और युद्धपोत पहुंचते रहते हैं और ड्रैगन बहुत तेजी से अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

भारत अगले सप्‍ताह इस नेवल बेस का उद्घाटन करने जा रहा है जो ठीक उसी समय हो रहा है जब मालदीव से भारतीय सैनिकों का पहला दल वहां से आने वाला है। मुइज्‍जू के आदेश पर भारतीय सैनिकों को वापस बुलाया जा रहा है। इससे पहले मुइज्‍जू ने चुनाव प्रचार के दौरान इन सैनिकों के खिलाफ 'इंडिया आउट' कैंपेन चलाया था। मुइज्‍जू ने भारत के साथ मालदीव की परंपरागत दोस्‍ती में जहर बो दिया है और अब वह चीन के इशारे पर लगातार जहर उगल रहे हैं। चीन के दौरे से लौटने के बाद मुइज्‍जू ने तुर्की से यूक्रेन वाले बायरकतार हमलावर ड्रोन लेने का ऐलान किया है। मुइज्‍जू ने कहा कि इसके जरिए वह भारतीय सीमा से सटे मालदीव के इलाके की निगरानी करेंगे।

मालदीव पर क्‍यों है चीन की नजर?

मालदीव ने तुर्की के साथ यह करोड़ों डॉलर की ड्रोन डील ऐसे समय पर की है जब उनका देश कर्ज में डूबा हुआ है। मालदीव पर सबसे ज्‍यादा कर्ज चीन का है। मालदीव में नई सरकार ने भारत को छोड़कर चीन के प्रति अपनी निष्ठा बना ली है, जिसे भारत के रणनीतिक हितों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। मालदीव का रणनीतिक महत्व उसके आकार से ज्यादा उसकी लोकेशन में है। यह 960 किलोमीटर लंबी पनडुब्बी रिज पर स्थित है जो उत्तर से दक्षिण तक जाती है, जो हिंद महासागर के बीच में एक दीवार के रूप में काम करती है।

हिंद महासागर क्षेत्र में संचार के दो महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग हैं जो दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया के बीच समुद्री व्यापार को सुविधाजनक बनाते हैं। ये मार्ग मालदीव के दक्षिणी और उत्तरी छोर पर स्थित हैं। मलक्का जलडमरूमध्य, अदन और होरमुज की खाड़ी अंतरराष्ट्रीय व्यापार और ऊर्जा प्रवाह के लिए इन मार्गों पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार के लिए हिंद महासागर के प्राथमिक मार्ग होने के बावजूद, मालदीव इसके लिए एक 'प्रवेश द्वार' की भूमिका निभाता है। लक्षद्वीप द्वीप समूह में नौसैनिक हवाई अड्डे के निर्माण के साथ, भारत का लक्ष्य हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और प्रभाव बनाए रखना है।

मालदीव को जवाब है मिन‍िकोय

अपने रणनीतिक हितों को सुरक्षित करने और एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए भारत का यह कदम जरूरी है। भारत का आईएनएस जटायु नाम का बेस, इस क्षेत्र में नौसेना की मौजूदगी को बढ़ाएगा। आईएनएस जटायु बेस मिनिकॉय द्वीप पर होगा, जो लक्षद्वीप के खूबसूरत द्वीपों में से एक है। मिनिकॉय द्वीप 9-डिग्री चैनल के पास स्थित है, जो एक व्यस्त शिपिंग रूट है, जो मालदीव के सबसे उत्तरी द्वीप से लगभग 130 किलोमीटर दूर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लक्षद्वीप का द्वीप का दौरा किया था, तब भारत और मालदीव के बीच एक कूटनीतिक विवाद हो गया था। मालदीव की नई सरकार ने भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा और एक चीनी जासूसी पोत का स्वागत किया जिसे श्रीलंका ने अपने यहां रुकने की अनुमति देने से पहले ही मना कर दिया था। इसका भारतीय जनता ने पर्यटन के लिए देश का बहिष्कार करके करारा जवाब दिया था।

यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लिए इस क्षमता को विकसित करना जरूरी था। आईएनएस जटायु में एक विमानन सुविधा होगी। यह न केवल भारत की समुद्री डोमेन जागरूकता को बढ़ाएगा बल्कि हमारे समुद्री पड़ोस में विकास की बेहतर निगरानी भी करेगा। शुरुआत में, आईएनएस जटायु को अधिकारियों और जवानों के एक छोटे से दल के साथ चालू किया जाएगा। हालांकि, इसे विस्तारित करने की योजना है ताकि राफेल जैसे लड़ाकू विमान यहां से उड़ान भर सकें। आईएनएस जटायु का उद्घाटन समारोह चुपके से नहीं होने जा रहा है। भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि क्षेत्र की शक्तियां इस पर ध्यान दें, क्योंकि समारोह के दौरान भारतीय नौसेना के दोनों ही विमानवाहक पोत वहां मौजूद रहेंगे, जो पूरी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और कुल 15 युद्धपोत 4-5 मार्च को होने वाले इस समारोह के दौरान मौजूद रहेंगे। जैसे-जैसे हिंद महासागर में चीनी नौसेना की मौजूदगी बढ़ रही है, भारत द्वीपीय क्षेत्रों में अपने बचाव को मजबूत करके जवाब दे रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button