मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास, फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में आजीवन कारावास

लखनऊ

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है. यह झटका आम चुनाव 2024 के पहले लगा है. फ़र्ज़ी शस्त्र लाइसेंस मामले में बाहुबली मुख़्तार अंसारी को आजीवन कारावास, और 2.20 लाख की सजा सुनाई गई है.

वाराणसी के विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अवनीश गौतम की कोर्ट ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को फर्जी ढंग से शस्त्र लाइसेंस लेने का मामले में पूर्व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाया.विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) अवनीश गौतम की कोर्ट में सुनवाई हुई.

विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने पूर्व विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी को आईपीसी की धारा 428, 467, 468, 120बी व आर्म्स एक्ट की धारा 30 के तहत मुख्तार पर आरोप सिद्ध होने पर दोषी माना था। इस दौरान बांदा जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मुख्तार अंसारी भी अदालत में हाजिर हुआ। पिछले डेढ़ सालों में मुख्तार अंसारी को आठवें मामले में सजा सुनाई गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के भाई अवधेश राय की हत्या में भी मुख्तार को उम्रकैद की सजा हुई थी।

मुख्तार अंसारी ने 10 जून 1987 को दोनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर के जिला मजिस्ट्रेट को प्रार्थना पत्र दिया था। तत्कालीन डीएम व एसपी के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति पत्र प्रस्तुत कर शस्त्र लाइसेंस ले लिया गया था। फर्जीवाड़ा उजागर होने पर सीबीसीआईडी ने चार दिसंबर 1990 को गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं कुछ अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मौत हो गई थी। इसके चलते उनके विरुद्ध वाद समाप्त कर दिया गया।

अभियोजन ने प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत 10 गवाहों के  बयान दर्ज किए थे। पिछली कई तिथियों पर सुनवाई के दौरान आरोपी के वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीनाथ त्रिपाठी ने लिखित बहस के साथ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग भी कोर्ट में दाखिल की थी। अभियोजन की ओर से भी रूलिंग पेश की गई थी।

इन मामलों में हो चुकी है सजा
फर्जी शस्त्र लाइसेंस प्रकरण मुख्तार अंसारी को 8वें मामले में सजा सुनाई गई है। इसके पहले उसे सात मामलों में भी सजा हो चुकी है। उनसमें तीन सजा वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट से हुई है। फर्जी असलहा लाइसेंस प्रकरण के अलावा रुंगटा परिवार को बम से उड़ाने की धमकी में 15 दिसंबर 2023 को पांच साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई थी। चर्चित अवधेश राय हत्याकांड में पांच जून 2023 को उम्रकैद, गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट एएसजे-चतुर्थ से 29 अप्रैल, 2023 को 10 वर्ष के सश्रम कारावास और पांच लाख रुपये का अर्थदंड, गैंगस्टर एक्ट में ही गाजीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट से 15 दिसंबर 2022 को 10 वर्ष के सश्रम कारावास और पांच लाख रुपये जुर्माना की सजा हुई है।

सरकारी कर्मचारी को काम से रोकने और धमकाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 सितंबर 2022 को सजा सुनाई थी। आलमबाग (लखनऊ) थाने में दर्ज केस की धारा 353 में दो साल की कैद, 10 हजार रुपये अर्थदण्ड, धारा 504 में दो साल की कैद, दो हजार अर्थदण्ड और धारा 506 में सात साल की कैद, 25 हजार रुपये की सजा से मुख्तार दंडित हो चुका है। लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज गैंगस्टर एक्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 23 सितंबर 2022 को दो साल की कैद 10 हजार रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया।

एक प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट से हुआ बरी
आर्म्स एक्ट और 5-टाडा एक्ट के तहत नई दिल्ली में दर्ज केस में न्यायालय एएसजे साउथ डिस्ट्रिक्ट नई दिल्ली ने 25 फरवरी 2003 को मुख्तार को पांच लाख 55 हजार के अर्थदण्ड व 10 वर्ष के सश्रम कारावास से दंडित किया था। इस फैसले के खिलाफ मुख्तार अंसारी ने अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 21 अप्रैल 2005 को इस मामले में उसे बरी कर दिया।  

रुंगटा प्रकरण में सजा पर है रोक
एमपी-एमएलए कोर्ट ने रुंगटा परिवार को बम से उड़ाने की धमकी देने के आरोप में मुख्तार अंसारी को 15 दिसंबर 2023 को पांच साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ मुख्तार अंसारी की ओर से हुई अपील हुई। 16 जनवरी 2024 को प्रभारी जिला जज की कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी थी। रोक के खिलाफ अपील पर अभी सुनवाई चल रही है।

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