मायावती ने कैसरगंज से नरेंद्र पाण्डेय को दिया टिकट

बहराइच

यूपी की कैसरगंज लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बृजभूषण शरण सिंह के टिकट पर सस्पेंस के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. मायावती की अगुवाई वाली बसपा ने कैसरगंज में पुरानी सोशल इंजीनियरिंग पर आगे बढ़ते हुए ब्राह्मण उम्मीदवार दिया है. बसपा ने कैसरगंज सीट से नरेंद्र पाण्डेय को टिकट दिया है. ट्रांसपोर्ट व्यावसायी नरेंद्र पाण्डेय के मुताबिक वह 2004 से ही बसपा से जुड़े हुए हैं और उन्होंने एक दिन पहले ही एक सेट में नॉमिनेशन दाखिल भी कर दिया था. अब वह बतौर बसपा उम्मीदवार नॉमिनेशन करेंगे.

कौन हैं नरेंद्र पाण्डेय
नरेंद्र पाण्डेय बहराइच जिले के पयागपुर विधानसभा क्षेत्र के रामनगर खजुरी गांव के रहने वाले हैं. पयागपुर विधानसभा सीट कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में ही आती है. ट्रांसपोर्ट व्यावसायी नरेंद लखनऊ के इंदिरा नगर में रहते हैं. वह गन्ने के सीरे की ढुलाई से जुड़े हुए हैं. नरेंद्र की पहचान बसपा के पुराने नेता के रूप में है. वह सियासत में लंबे समय से सक्रिय हैं. बसपा ने इस बार बृजभूषण शरण सिंह का गढ़ मानी जाने वाली कैसरगंज लोकसभा सीट से नरेंद्र पाण्डेय को उम्मीदवार बना दिया है.

बसपा का ब्राह्मण कार्ड
नरेंद्र की उम्मीदवारी के पीछे कैसरगंज में ब्राह्मण और दलित वोटों का गणित सेट करने की बसपा की रणनीति भी है. कैसरगंज लोकसभा सीट से बसपा 2009 और इसके बाद के हर चुनाव में ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाती आई है. 2009 में बसपा ने सुरेंद्रनाथ अवस्थी उर्फ पुत्तू अवस्थी पर दांव लगाया था. तब बीजेपी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा को मैदान में उतारा था. बृजभूषण शरण सिंह सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में थे. बृजभूषण सपा से कैसरगंज के सांसद निर्वाचित हुए थे. साल 2014 में बसपा ने विधायक रहे कृष्ण कुमार ओझा को उम्मीदवार बनाया था. हर बार बसपा के उम्मीदवारों को बृजभूषण से मात खानी पड़ी.

कैसरगंज लोकसभा सीट के जातीय समीकरणों की बात करें तो यह सीट ब्राह्मण बाहुल्य सीट है. कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में अनुमानों के मुताबिक करीब 20 फीसदी ब्राह्मण और 18 फीसदी दलित आबादी है. राजपूत मतदाताओं की तादाद करीब 10 फीसदी है तो वहीं 12 फीसदी यादव, नौ फीसदी निषाद और करीब सात फीसदी कुर्मी मतदाता हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की तादाद भी करीब 18 फीसदी है. बसपा ने जातीय समीकरणों को देखते हुए ही इस बार भी ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा है.

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