NMC ने मेडिकल कॉलेजों में सीट छोड़ने पर भरे जाने वाले बांड की नीति को खत्म करने का आग्रह किया

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मेडिकल कॉलेजों में सीट छोड़ने को लेकर भरे जाने वाले बांड की नीति को खत्म करने का आग्रह किया है।  एनएमसी के स्नातक चिकित्सा शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. अरुणा वी. वाणीकर ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के प्रधान सचिव को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा है कि आयोग को विभिन्न संस्थानों के मेडिकल विद्यार्थियों, विशेष रूप से पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल विद्यार्थियों के तनाव, चिंता और अवसाद जैसी खतरनाक स्थितियों का सामना करने को लेकर शिकायतें प्राप्त हुई हैं।

डॉ. वणिकर ने लिखे पत्र में कहा है कि ये मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं मुख्य रूप से विद्यार्थियों को अपने नये कॉलेजों/संस्थानों में प्रचलित एक अलग माहौल के साथ तालमेल बिठाने में असमर्थता के कारण होती हैं। इसका कारण यह है कि मेडिकल कॉलेज का माहौल उन कॉलेजों के ठीक उलट होता है जहां उन्होंने (छात्रों ने) स्नातक की शिक्षा पूरी की।  

वणिकर ने सीट छोड़ने के भारी भरकम बांड के बंधन को प्रभावित छात्रों के लिए राहत पाने के उपायों में बड़ी बाधा करार दिया है। एनएमसी की एंटी रैंगिंग कमिटी ने सुझाव दिया है कि बांड भरवाने की बजाय मेडिकल कॉलेज उन छात्रों को अगले एक वर्ष के लिए अपने यहां एडमिशन से वंचित करने पर विचार कर सकते हैं जो अपनी सीट छोड़ना चाहते हैं।

सीट छोड़ने के लिए बांड पर साइन करने का नियम मेडिकल छात्रों विशेष रूप से पीजी छात्रों के लिए इस उद्देश्य के साथ लाया गया था कि वे मेडिकल सीट को अचानक न छोड़ें। सीट ब्लॉक करने और मेडिकल सीट बेकार जाने की समस्या के लिए बॉन्ड की व्यवस्था शुरू की गई थी। हालांकि, पिछले 10 वर्षों में मेडिकल पीजी सीटों की संख्या में इजाफा हुआ है। एनएमसी ने हाल ही में राज्यसभा को सूचित करते हुए कहा कि पीजी सीटें 2014 से पहले के आंकड़े 31,185 से 127 फीसदी बढ़कर अब 70,674 हो गईं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button