नेपाल में प्रचंड से ओली नाराज, सहयोगी दलों से बिना सलाह के ही बजट लाने का आरोप

काठमांडू
नेपाल में सीपीएन (एमसी) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों का कोई न कोई विवाद हर रोज सामने आने लगा है। सत्तारूढ़ दल के एक वरिष्ठ नेता के विपक्षी गठबंधन की बैठक में शामिल होने की खबर आती है तो कभी संसदीय समिति के गठन को लेकर विवाद की बात सुर्खियां बन जाती हैं। ताजा विवाद सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दल सीपीएन (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली के एक बयान के बाद सामने आया है। ओली ने हाल में पेश किए गए आम बजट को लेकर प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल 'प्रचंड' पर अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से जाहिर की है। ओली ने शनिवार को काठमांडू में आयोजत एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार की तरफ से बजट को लेकर घटक दलों के साथ कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया।

उन्होंने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि बजट पर क्या अच्छा है और क्या बुरा, इस बात का विश्लेषण तो बाद में होगा लेकिन सबसे अहम बात यह है कि गठबंधन सरकार होने के बावजूद सबसे बडे़ दल के नेता के रूप में बजट पर ना तो मुझसे और ना मेरी पार्टी के किसी भी साथी से कोई विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि गठबंधन में कोई भी दल गठबंधन धर्म का निर्वाह नहीं कर रहा है।

माधव कुमार नेपाल का उल्लेख किए बिना ओली ने कहा कि सत्ताधारी एक दल का अध्यक्ष ही जब विपक्षी गठबंधन की बैठक में शामिल होने लगे तो इस गठबंधन का क्या काम? ओली ने कहा कि इस तरह से गठबंधन आगे नहीं बढ़ सकता है। इस विषय पर गठबंधन की बैठक में गम्भीरता से चर्चा करने की आवश्यकता है। सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद संसद की तीसरी बड़ी पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री स्वीकार कर गठबंधन को लंबे समय तक चलाने की सोच को धक्का लगा है।

उल्लेखनीय है कि नेपाल की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में प्रधानमंत्री प्रचंड की पार्टी सीपीएन (एमसी) के 32 सदस्य, ओली की पार्टी सीपीएन (यूएमएल) के 79 सदस्य और आरएसपी के 21 सदस्य हैं, जबकि मुख्य विपक्षी नेपाली कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 88 है।

 

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