Pariksha Pe Charcha: पीएम मोदी ने कहा- अपने बच्चे की तुलना दूसरों बच्चों से न करें
नईदिल्ली
दसवीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं से पहले छात्रों के मानसिक तनाव को कम करने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड न मानें। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि छात्रों को खुद से प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, दूसरों से नहीं। दिल्ली में प्रगति मैदान के नवनिर्मित भारत मंडपम के टाउन हॉल में प्रधानमंत्री ने 'परीक्षा पे चर्चा' के सातवें संस्करण में कहा कि प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए। उन्होंने अभिभावकों एवं शिक्षकों को सुझाव देते हुए कहा कि उन्हें एक बच्चे की तुलना दूसरे से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उनके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है। कुछ माता-पिता अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड समझते हैं, यह अच्छा नहीं है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि छात्रों पर तनाव तीन प्रकार का होता है। उन्होंने कहा कि यह कभी साथियों के दबाव से प्रेरित होता है तो कभी माता-पिता द्वारा और कभी स्वयं से भी प्रेरित होता है। उन्होंने कहा कि दबाव इतना नहीं होना चाहिए कि यह किसी की क्षमताओं को प्रभावित करे। उन्होंने कहा, ''कई बार बच्चे खुद पर दबाव बनाते हैं कि वे उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। मेरा सुझाव है कि आपको तैयारी के दौरान छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और धीरे-धीरे अपने प्रदर्शन में सुधार करना चाहिए। इस तरह आप परीक्षा से पहले पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे।''
पिछले वर्ष के संस्करण में कुल 31.24 लाख छात्रों, 5.60 लाख शिक्षकों और 1.95 लाख अभिभावकों ने भाग लिया था। इस साल, 'माइ गोव पोर्टल' पर करीब 2.26 करोड़ पंजीकरण हुए हैं जो छात्रों के बीच इस कार्यक्रम को लेकर व्यापक उत्साह को दर्शाता है।
टेक्नोलॉजी को बोझ नहीं मानना चाहिए, इसका सही उपयोग सीखना जरूरी है
आप अपने माता-पिता को बताएं कि मोबाइल पर क्या-क्या होता है। नहीं तो मां बाप को लगेगा कि मोबाइल मतलब दोस्तों से चिपका हुआ है। घर में पासवर्ड सबको पता हो। इससे पारदर्शिता आएगी। माहौल अच्छा रहेगा।
सामूहिक एकता दिखाने के लिए कोरोना के दौरान बजवाई थाली
पीएम मोदी ने कहा- कोराना काल में मैंने देशवासियों से ताली थाली बजाने को कहा था। यह कोरोना को खत्म नहीं करता लेकिन एक सामूहिक शक्ति को जन्म देता है।
छात्रा ने पीएम मोदी से पूछा कि हम आपकी तरह सकारात्मक कैसे हो सकते हैं।
– पीएम मोदी ने कहा – मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं। मैं हर परिस्थिति को हैंडल करने का नया तरीका ढूंढता हूं। मैं याद रखता हूं कि 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ हैं। मुझे कभी नहीं लगता मैं अकेला हूं। मुझे लगता है कि मेरा देश सामर्थ्यवान है। ये मेरा सोचना का मूलभूत तरीका है। अगर 100 मिलियन चुनौतियां है तो बिलियन्स ऑफ बिलियन समाधान भी हैं। मुझे कभी नहीं लगता है कि मैं अकेला हूं, मुझे हमेशा पता होता है कि मेरा देश और लोग सामर्थ्यवान है। हम हर चुनौती को पार कर जाएंगे।
मोबाइल का पासवर्ड में सबका पता हो
टेक्नोलॉजी से बचने की जरूरत नहीं है, लेकिन उसका सही उपयोग सीखना बेहद जरूरी है। हमारे मोबाइल पर लगा पासवर्ड परिवार के सभी सदस्यों को पता होगा, तो काफी सुधार हो जाएगा। पासवर्ड पता होने से घर में पारदर्शिता आएगा।
मोबाइल व सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करें
घर में नो गैजेट जोन बनाना चाहिए। स्वविवेक से मोबाइल का इस्तेमाल करें। नियम बनाना चाहिए कि खाना खाते समय डाइनिंग टेबल पर कोई गैजेट नहीं होगा। मोबाइल का इस्तेमाल करें। टेक्नोलॉजी से दूर नहीं भाग सकते, लेकिन उसका सही इस्तेमाल करना चाहिए। स्कीन टाइम ऐप को डाउनलोड कर इसका इस्तेमाल करें।
पीएम ने कहा- माता-पिता का भरोसा जीतें
टीचर्स और पेरेंट्स सोचें कि कैसे हम ट्रस्ट डेफिशिएट का अनुभव कर रहे है। हमें बच्चों के आचरण को एनालिसिस करते रहना चाहिए। विद्यार्थियों को ऐसा जरूर सोचना चाहिए कि हमें पेरेंट्स का भरोसा नहीं तोड़ना चाहिए। इससे टीचर और मां-बाप के लिए आप पर भरोसा नहीं टूटेगा। मां-बाप को बच्चों पर भरोसा करना सीखना चाहिए। एक दूसरे से बात करने का तरीका सुधारना चाहिए। मां-बाप और बच्चों की दूरी डिप्रेशन का कारण बनती है। सामाजिक अनुभव एजुकेशन सिस्टम पर प्रभाव डालता है।
जीवन में निर्णायक बनें
पीएम मोदी ने कहा- हमें निर्णायक बनने की आदत डालनी चाहिए। कंफ्यूजन नहीं होगी। अनिर्णायकता खतरनाक होती है।
पीएम मोदी ने छात्रों को बताए मोबाइल पर रील्स देखने के नुकसान
पीएम मोदी ने कहा कि एक के बाद मोबाइल पर एक रील्स देखते रहेंगे तो समय बर्बाद हो जाएगा, नींद खराब होगी, जो पढ़ा है वो याद नहीं रहेगा। नींद को कम ना आंके। आधुनिक हेल्थ साइंस नींद को बहुत तवज्जोह देता है।
मैं 30 सेकेंड में डीप स्लीप में चला जाता हूं
साल के 365 दिन, कोई अपवाद नहीं, बिस्तर में लेटते ही 30 सेकेंड में सो जाता हूं। जब मैं जागता हूं तो पूरी तरह जागृत रहता हूं। जागृत अवस्था में पूरी तरह जागृत रहता हूं। स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार भी जरूरी है। अच्छी फिटनेस के लिए एग्सरसाइज जरूरी है। बिना किसी समझौते की तरह टूथब्रश की तरह व्यायाम करना चाहिए।
पढ़ाई और स्वस्थ जीवन शैली में कैसे संतुलन बनाएं?
पीएम मोदी ने कहा – आप मोबाइल को चार्ज करते हैं उसी तरह खुद के शरीर को भी चार्ज करने की जरूरत होती है। स्वस्थ शरीर स्वस्थ मन के लिए जरूरी है। स्वस्थ नहीं रहेंगे तो तीन घंटे की परीक्षा कैसे देंगे। बॉडी को चार्ज करने के लिए धूप में बैठना जरूरी होता है। कम नींद स्वास्थ्य के लिए अनुचित होती है।