मंगल ग्रह पर सल्फेट का होना आम बात है लेकिन पहली बार है जब सल्फर शुद्ध रूप में मिला है: वैज्ञानिक

वॉशिंगटन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने मंगल ग्रह पर बड़ी खोज की है। रोवर को लाल ग्रह पर पीले रंग के शुद्ध सल्फर के क्रिस्टल मिले है। वैज्ञानिक इस खोज से इसलिए भी हैरान हैं क्योंकि बिना पानी के इन क्रिस्टल का बनना बेहद मुश्किल है। एक चट्टान के खुले हुए हिस्से के बीच में सल्फर के पीले क्रिस्टल पाए गए हैं। क्यूरियोसिटी के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट अश्विन वासवाडा ने कहा, इस खोज के बारे में पहले से किसी को अंदाजा नहीं था। मुझे लगता है कि यह इस मिशन की सबसे बड़ी खोज है।

30 मई को वासवादा और उकी टीम ने रोवर द्वारा भेजी गई तस्वीरें देखीं। इसमें दिखाई पड़ रहा था कि पहिए के रास्ते में एक चट्टान बिखऱ गई। इसके बाद जब जूम करके देखा गया तो वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। उन्होंने देखा की पीले रंग के क्रिस्टल बिखरे पड़े थे। जब जांच में पता चला कि यह शुद्ध सल्फर है तो वैज्ञानिक और भी हैरान रह गए। वासवादा के मुतबिक सल्फर की चट्टान आम तौर पर सुंदर, चमकीली और क्रिस्टलीन होती है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि मंगल ग्रह पर सल्फेट का होना आम बात है लेकिन पहली बार है जब सल्फर शुद्ध रूप में मिला है। वहीं गेडिज वालिस चैनल में सल्फर का मिलान और भी हैरान करने वाला है। हो सकता है कि उस इलाके में चट्टानें सल्फर से भरी हों। पृथ्वी पर भी सल्फर बहुत ही दुर्लभ परिस्थितियों में बनता है। ज्वालामुखी विस्फोट वाली जगह पर शुद्ध सल्फर पाए जाने की संभावना रहती है। वासवदा का कहना है कि मंगल ग्रह पर सल्फर मिलना उसी तरह है जैसे कि रेगिस्तान में पानी का मिलना।

मंगल पर पानी का खुलेगा राज
लंबे समय से वैज्ञानिक पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या कभी मंगल पर जीवन था। सल्फर की खोज इस दिशा में एक बड़ी खोज साबित हो सकती है। दरअसल सल्फेट्स तब बनते हैं जब सल्फर पानी में अन्य खनिजों के साथ खुलता है और फिर पानी वाष्पित हो जाता है। इसके बाद सल्फेट बचते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज मंगल पर जीवन के राज खोल सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवन के लिए सल्फर भी जरूरी होता है और लाल ग्रह पर इसका होना जीवन की ओर संकेत करता है।

 

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