रूस ने की भारत को FNPP तकनीक देने की पेशकश, अमेरिका और चीन के पास भी नहीं ये ताकत

मॉस्को
 रूस ने नई दिल्ली को ऐसी परमाणु तकनीक देने की पेशकश की है, जिससे भारत की क्षमता में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। रूस की सरकारी परमाणु ऊर्जा कंपनी रोसाटॉम ने भारत को फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र (FNPP) के निर्माण और संचालन की तकनीक ऑफर की है। भारत समेत पूरी दुनिया में इस तरह के रिएक्टर को लेकर रुचि बढ़ रही है। वर्तमान में रूस के पास दुनिया का इकलौता पानी पर तैरता हुआ परमाणु ऊर्जा संयंत्र है, जो एकेडेमिक लोमोनोसोव जहाज पर लगाया गया है। यह वर्तमान में पेवेक में बिजली की सप्लाई कर रहा है, जो रूस के उत्तरी आर्कटिक में स्थित एक बंदरगाह शहर है। रूस के अलावा किसी भी देश के पास ये तकनीक नहीं है।

क्या होते हैं फ्लोटिंग न्यूक्लियर रिएक्टर?

भारत और रूस के बीच जमीन पर आधारित बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर नियमित बातचीत पहले से होती रही है लेकिन प्लोटिंग न्यूक्लियर रिएक्टर की पेशकश एक बड़ा कदम है। फ्लोटिंग परमाणु संयंत्र 'छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर' को कहा जाता है, जिन्हें जहाज पर लगाया जा सकता है। ये परमाणु पॉवर प्लांट बेहद कम लागत और कम कार्बन उत्सर्जन के साथ 24 घंटे बिजली की आपूर्ति कर सकते हैं।

फ्लोटिंग परमाणु रिएक्टर क्यों खास?

हम अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अभी तक मोटे तौर पर कोयले से आधारित संयंत्रों या फिर हाइड्रो पावर का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत समेत कुछ देशों ने परमाणु ऊर्जा संयंत्र भी लगाए हैं, लेकिन अभी भी समुद्र के करीब या दूर स्थित द्वीपों पर ऊर्जा की जरूरत के लिए जीवाश्व ईंधन वाले जनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है। भारत के सबसे दक्षिणी हिस्सा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के द्वीपों की ऊर्जा जरूरतों के लिए आज भी जनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है। ध्यान रहे कि अंडमान में भारतीय सेना की इकलौती त्रिस्तरीय कमांड है। उसे भी बिजली के लिए इन जनरेटरों का सहारा लेना पड़ता है।

दुनिया में जैसे-जैसे ऊर्जा प्रणालियों में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयास बढ़ रहे हैं, इसका जवाब फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट दे सकते हैं। दूरदराज के तटीय इलाकों में स्वच्छ बिजली के साथ ही अपतटीय तेल, गैस या खनन गतिविधियों के साथ ही शिपयार्ड में बिजली की लागत में कमी लाने के लिए फ्लोटिंग बार्ज या प्लेटफॉर्म पर छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर स्थापित करने में रुचि बढ़ रही है। ये तैरते हुए न्यूक्लियर पावर प्लांट न सिर्फ सस्ती और ज्यादा बिजली दे सकते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई और नेट जीरो उत्सर्जन में भी भूमिका निभा सकते हैं।

भारत के रणनीतिक महत्व वाले क्षेत्रों तक पहुंच

नौसेना के जहाजों और आइसब्रेकर में परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल लगभग 60 साल से किया जा रहा है। लेकिन फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट अलग हैं, क्योंकि तैरते हुए परमाणु ऊर्जा संयंत्र हीटिंग, हाइड्रोजन उत्पादन समेत कई कामों के लिए कम कार्बन बिजली पैदा करेंगे। फ्लोटिंग परमाणु संयंत्र को किसी कारखाने में बनाया जा सकता है। शिपयार्ड के पास लगाया जा सकता है या किसी साइट पर भेजा जा सकता है। ये सभी निर्माण को गति देने और लागत को कम रखने में मदद कर सकते हैं। भारत के अंडमान और लक्षद्वीप जैसे सुदूर और रणनीतिक महत्व वाले द्वीपों पर बिजली पहुंचाने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। रूस ने परमाणु रिएक्टर लोमोसोनोक को 2020 में चालू किया था, जो आर्कटिक में मौजूद बंदरगाह शहर पेवेक को बिजली पहुंचा रहा है। रूस ने यहां पुराने चौंस्क कोयला प्लांट को बंद कर दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button