शाजापुर के राजराजेश्वरी माता मंदिर में 54 सालों से जल रही अखंड ज्योति

शाजापुर
शारदीय नवरात्र का आगाज हो गया है। माता जी के पंडाल भी सज गए हैं। कलश यात्रा के साथ दुर्गा मां और शुभ मुहूर्त में घट स्थापना वैदिक मंत्र पूजा विधि के साथ पांडालों,मंदिरों सहित घर-घर में विराजी। अब नौ दिन के लिए क्षेत्र में वातावरण भक्तिमय हो जाएगा और लोग माता की भक्ति में डूबे रहेंगे। मंदिरों और पंडालों में सुबह शाम आरती, छप्पन भोग और जागरण इत्यादि कार्यक्रम का आयोजन नौ दिन में लोगों को देखने को मिलेगा। घर-घर में कन्या भोजन, हवन,पाठ पूजा लोग करेंगे।

मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली
शाजापुर का विश्व प्रसिद्ध राजराजेश्वरी माता मंदिर परिसर आकर्षक विद्युत सज्जा से जगमगाने लगा है। चैत्र नवरात्रि को लेकर मंदिर में तैयारियां की गई हैं और माता के दरबार को सजाया गया है। मां राजराजेश्वरी के दरबार में नौ दिनों तक माता की आराधना होगी। श्रद्धालु धार्मिक आयोजनों का आनंद भी ले सकेंगे। मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली है और यहां दूर-दूर से कई लोग आते हैं और माता के दर्शन कर मेले का भी आनंद उठाते हैं। मंदिर परिसर में मेला भी लग चुका है,मेले के लिए व्यापारी कई दिनों पहले ही अपना सामान लेकर यहां आ गए थे।

विश्व के 52 स्थानों पर शक्तिपीठ मंदिर स्थापित
मां राजराजेश्वरी मंदिर के पुजारी पं.आशीष नागर ने बताया कि माता के दरबार में 54 सालों से अखंड ज्योति जल रही है। दादाजी मंदिर के पुजारी स्व. पं. हरिशंकर नागर ने बताया था कि मां राजराजेश्वरी के दरबार में देश की चारों पीठों के शंकराचार्यों ने दर्शन करने के बाद इसे 52वां गुप्त शक्तिपीठ बताया था।

पंडित नागर ने बताया कि मां राजेश्वरी मंदिर का जीर्णोद्धार राजा भोज के कार्यकाल में 1060 में हुआ था। पूर्व में माता के गर्भगृह के ठीक बाहर के स्थान पर शनिदेव मानकर पूजन किया जाता था। 1968-1969 से अखंड ज्योत जल रही है। दादाजी पं. हरिशंकर नागर को स्वप्न आया था कि यहां शिव परिवार की प्रतिमा है। वर्षों पहले मंदिर के विस्तार के दौरान की गई खोदाई में माता के चरण, चिमटा, त्रिशूल मिला था।

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