भारत में अप्रैल से जून के बीच 501 सौदे हुए हैं, जिनका मूल्य 21.4 अरब डॉलर था, सबसे बड़ा आंकड़ा

नई दिल्ली
भारत में अप्रैल से जून के बीच 501 सौदे हुए हैं, जिनका मूल्य 21.4 अरब डॉलर था। यह 2022 की दूसरी तिमाही के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसकी वजह राजनीतिक स्थिरता और आने वाले बजट को लेकर सरकार की नीति स्पष्ट होना है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। आने वाले छह महीनों में सौदों की गतिविधियों में और बढ़त देखने को मिल सकती है।शुक्रवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

ग्रांट थॉर्नटन भारत डीलट्रैकर के मुताबिक, विलय एवं अधिग्रहण और प्राइवेट इक्विटी (पीई) सौदों की संख्या 467 रही और इनकी वैल्यू 14.9 अरब थी। अप्रैल से जून के बीच वॉल्यूम में 9 प्रतिशत का इजाफा देखे को मिला। सौदों में बढ़त की वजह अदाणी ग्रुप की ओर से इंडस्ट्रियल मटेरियल और पोर्ट सेक्टर में चार उच्च वैल्यू वाले सौदे करना था, जो कि पिछली तिमाही हुई डील की वैल्यू का 52 प्रतिशत थी।

2024 की दूसरी तिमाही में एक अरब डॉलर की एक और 30 हाई-वैल्यू डील (100 मिलियन डॉलर से अधिक) हुई है और इस वजह पिछली तिमाही के मुकाबले हाई-वैल्यू डील में 58 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। पारंपरिक सेक्टर्स जैसे फार्मा और मैन्युफैक्चरिंग में मजबूल डील देखने को मिली है, जो कि कुल डील का करीब 50 प्रतिशत था। 2024 की दूसरी तिमाही में 14 आईपीओ आए, जिन्होंने करीब 4.2 अरब डॉलर की राशि जुटाई। यह 2022 की दूसरी तिमाही के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा था।

ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर (ग्रोथ) शांति विजेता ने कहा, "तिमाही में मजबूत निजी इक्विटी गतिविधि और बड़े घरेलू सौदे देखे गए। वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण सीमा पार सौदों में गिरावट के बावजूद, घरेलू निवेश मजबूत रहा है।"

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button