सामुदायिक भागीदारी से मध्यप्रदेश को करेंगे टीबी मुक्त : उप मुख्यमंत्री शुक्ल

भोपाल

उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल कहा है कि टीबी उन्मूलन के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। नि:क्षय शिविर अभियान सामुदायिक भागीदारी से अपने लक्ष्य को प्राप्त करेगा। उन्होंने सभी सामाजिक संगठनों और समाजसेवकों से आह्वान किया है कि वे इस अभियान का हिस्सा बनें और हर टीबी मरीज तक जरूरी सहायता पहुंचाने में सहयोग करें। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने आस-पास के टीबी मरीजों की पहचान करने और उन्हें समय पर इलाज दिलाने में सहयोग करें। यदि किसी व्यक्ति को लगातार दो सप्ताह से अधिक खांसी, बुखार या वजन घटने जैसी शिकायत हो, तो उसे तुरंत स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं। टीबी का इलाज पूरी तरह संभव है, इसके लिए समय पर पहचान और उपचार महत्वपूर्ण है। सभी के समेकित प्रयास से टीबी मुक्त मध्यप्रदेश का लक्ष्य हम शीघ्र प्राप्त करेंगे। उन्होंने अभियान में सक्रिय भूमिका निभा रहे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, समाजसेवियों, संस्थाओं, नि:क्षय मित्रों की सराहना की है।

मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 2025 तक टीबी (क्षय रोग) को समाप्त करने के राष्ट्रीय लक्ष्य को साकार करने के लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान चला रहा है। इस अभियान में समाज के हर वर्ग को जोड़ते हुए, एनजीओ, समाजसेवी संगठनों, और आम जनता से सक्रिय सहयोग की अपील की जा रही है। 100 दिवसीय नि:क्षय शिविर अभियान में प्रदेश के 23 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाने, रोग की पहचान, रोकथाम और उपचार को गति देने के प्रयास किए जा रहे हैं। अभियान में टीबी की घटनाओं में 80% कमी लाने, मृत्यु दर में 90% गिरावट और मरीजों के चिकित्सा व्यय को शून्य करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिये नि:क्षय मित्रों, स्वयं सेवकों और सामाजिक संगठनों को शामिल कर सघन प्रयास किये जा रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने टीबी के खिलाफ जागरूकता को जनआंदोलन का रूप देने के लिए विभिन्न रचनात्मक पहलें की हैं। सिवनी जिले में ‘न्यू पहल’ फाउंडेशन ने 400 मस्जिदों में उर्दू भाषा में जागरूकता सामग्री प्रदाय की है, जिससे समुदाय के हर वर्ग तक टीबी की जानकारी पहुंचे। मंदसौर में ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर कमलेश भाटी ने एक शादी समारोह में टीबी जागरूकता का संदेश देकर समाज के बीच जागरूकता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। इसी तरह, जबलपुर रेलवे स्टेशन पर लाखों यात्रियों को टीबी की जानकारी देने के लिए पोस्टर और फ्लेक्स लगाए गए हैं।

विशेष शिविर लगाकर की जा रही हैं जाँच

दमोह जिले में निजी चिकित्सकों ने अपने मरीजों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए ओपीडी प्रिस्क्रिप्शन में टीबी जागरूकता के संदेश देने की पहल की है। सीधी जिले में स्थानीय "बघेली" भाषा में दीवार लेखन के माध्यम से सैकड़ों प्रेरक नारों को लिखा गया है, जो समुदाय के लोगों के बीच जागरूकता फैलाने में मदद कर रहे हैं। दतिया में आईसीएमआर टीम ने जेल के कैदियों की हैंडहेल्ड एक्स-रे तकनीक से स्क्रीनिंग की, जबकि मंडला जिले के कार्य स्थलों पर शिविर लगाकर 417 मजदूरों की जांच की गई। नीमच जिले में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने टीबी मरीजों को पोषण सामग्री उपलब्ध कराकर उनके समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की कोशिश की है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button