वाइट हाउस के दावे से मची हलचल, अमेरिका तक मार करने वाली मिसाइल बना रहा पाकिस्तान
इस्लामाबाद
अमेरिका ने पाकिस्तान की एक सरकारी मिसाइल डिवेलपमेंट एजेंसी पर पाबंदियां लगाई हैं। इसके अलावा तीन अन्य वेंडर कंपनियों पर भी रोक लगाई हैं। इस बीच वाइट हाउस के एक सीनियर अधिकारी के दावे ने हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक ऐसी लॉन्ग रेंज की बलिस्टिक मिसाइल तैयार करने में जुटा है, जो दक्षिण एशिया से बाहर तक मार कर सकती है। यहां तक कि अमेरिका भी उस मिसाइल हमले की जद में आ सकता है। अमेरिका के उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने कहा कि इस्लामाबाद का जो रवैया है, वह सवाल खड़े करने वाला है। आखिर उसकी नीयत क्या है, जो वह इस तरह की मिसाइलें तैयार कर रहा है।
फाइनर ने एक कार्य़क्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे लिए यह हैरानी की बात है और समझना कठिन है कि कैसे पाकिस्तान इतने बड़े खतरे के तौर पर उभर रहा है। खासतौर पर अमेरिका तक को वह निशाने पर ले सकता है। इस बीच अमेरिका के आरोपों और पाबंदियों से पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। उसने भारत का नाम तो नहीं लिया है, लेकिन अमेरिका पर भेदभाव का आरोप लगाया। पाकिस्तान ने कहा कि कुछ देशों के साथ अमेरिका ऐसा कुछ भी नहीं करता, लेकिन पाकिस्तान पर मनगढ़ंत आरोपों के साथ पाबंदियां लगाई जा रही हैं।
अमेरिकी अधिकारी का कहना था कि पाकिस्तान लगातार मिसाइल तकनीक में इजाफा कर रहा है। फिलहाल वह लॉन्ग रेंज की बलिस्टिक मिसाइलें तैयार कर रहा है। यदि उसका यही ट्रेंड जारी रहा तो वह दक्षिण एशिया के बाहर तक मार करेगा और खासतौर पर अमेरिका को भी टारगेट कर सकने की उसके पास क्षमता होगी। बता दें कि अमेरिका ने पाकिस्तान की सरकारी मिसाइल टेक्नोलॉजी कंपनी नेशनल डिवेलपमेंट कॉम्प्लेक्स पर पाबंदी लगाई है। इसके अलावा उसकी तीन अन्य वेंडर कंपनियों अख्तर ऐंड संस प्राइवेट लिमिटेड, एफिलिएट्स इंटरनेशनल और रॉकसाइड इंटरप्राइजेज पर भी पाबंदियां लागू की हैं।
पाकिस्तान ने अमेरिका के इन आरोपों और पाबंदियों को लेकर कहा है कि उसका रवैया भेदभाव वाला है। उसने कहा कि इस तरह से अमेरिका क्षेत्रीय शक्तियों में असंतुलन पैदा कर रहा है। उसका साफ इशारा भारत की ओर ही था। पाक के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'ऐसे दोहरे रवैये और भेदभाव वाली नीतियों के चलते अमेरिका ने अपना भरोसा कमजोर किया है। इसके अलावा वह क्षेत्रीय स्तर पर असंतुलन पैदा कर रहा है। इससे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति पर भी खतरा पैदा हो सकता है।'